Our History
भारतीय संस्कृति के उद्धारक और आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के सुविचारों से प्रेरित होकर उनका अनुसरण करते हुए श्रीमती जानकी देवी जी व अन्य आस –पास के गाँव बल्ला, धर्मगढ़, मोर- माजरा, कवी, सालवन के गणमान्य व्यक्तियो के कर कमलो द्वारा 05- 01- 1973, को आर्य कन्या गुरुकुल मोर माजरा की स्थापना की गई। गुरुकुल की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक ज्ञान भी देना है। 1975 ई० इस संस्था को सोसाइटी महासभा को आर्य कन्या गुरुकुल के नाम पर पंजीकृत कराया गया| श्री चतर सिंह जी को सर्वसम्मति से पहला प्रधान चुना गया| गुरुकुल ने अपनी स्थापना के उद्देश्य को ध्यान मे रखते हुए सन् 1983 मे 10वी एवम् सन् 1991 मे10+2 की स्थाई मान्यता प्राप्त की | बालिकाओं की सुरक्षा व सुविधाओं को देखते हुए छात्रावास का निर्माण किया गया |
गुरुकुल की बालिकाओं की खेलकूद मे रुचि देखते हुए तथा उनकी खेल के क्षेत्र मे प्रतिभा को विकसित करने के लिए 7 एकड़ भूमि पर भव्य स्टेडियम का निर्माण किया गया है|छात्राओ की खेल –कूद मे प्रतिभा को निखारने के लिए एक विशाल इंडोर हाल का निर्माण हुआ है| सन् 2023 मे गौरवमयी इतिहास के साथ गुरुकुल अपने 50 वर्ष सफलतापूर्वक पूर्ण कर चुका है|